तासों ही कछु पाइए, कीजै जाकी आस
रीते सरवर पर गए, कैसे बुझे पियास
कविवर रहीम कहते हैं की सूखे तालाब पर जाने से प्यास शांत नहीं हो सकती. उसी प्रकार उसी व्यक्ति से आशा की जा सकती है जिसके पास कुछ हो.
भावार्थ-इससे आशय यह है कि अगर किसी की पास धन-धान्य या अन्य साधन है उसी से से किसी प्रकार की कोई आशा की जा सकती है, इसलिए अपने लोगों के सदैव संपन्न होने की दुआ करना चाहिऐ.
तेहि प्रमान चलिबो भलो, जो सब दिन ठहराइ
उमडि चलै जल पर ते, जो रहीम बढ़ी जाइ
कवि रहीम कहते हैं कि जीवन में प्रतिदिन ठहराव होना चाहिऐ, नदी के उस पानी की तरह नहीं जो बढ़ जाने पर नदी के तट को तोड़कर बाहर निकल जाता है और व्यर्थ हो जाता है तो उसी हिसाब से चलना चाहिऐ जिससे जीवन धन्य हो सके.