हिंदी ब्लाग जगत का व्यवसायिक रूप करीब-करीब मैंने समझ लिया है और अब मुझे किसी तरह का कोई भ्रम नहीं है। एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि केवल लिखने के दम पर यहां कमाना अभी तक तो अंसभव है। निरंतर लिखते हुए मैंने यह अनुभव किया कि उससे मुझे कोई आर्थिक या सामाजिक लाभ होने वाला नहीं है। हिंदी के सभी ब्लाग एक जगह दिखाये जाने वाले एग्रीगेटरों पर अक्सर मैं देखता हूं तो पता हूं कि मुझे वहां लोकप्रियता पाने का विचार तो छोड़ ही देना चाहिए क्योंकि कई ऐसी स्थितियां हैं जो कभी मेरे अनुकूल नहीं होंगी। उसके लिए जिस प्रकार के रणनीतिक कौशल की आवश्यकता है वह मुझमें नहीं है।
कई बार ऐसे विज्ञापन मेरे सामने आते हैं जिसमें ऐसा संदेश होता है कि जैसे वह आपको फ्री वेबसाइट बनाने का आमंत्रण दे रहे हों पर जैसे ही उसमें घुसते हैं पता चलता है कि यह सब एक छलावा है। फ्री ब्लाग बनाओ उस पर लिखते जाओ। गूगल का विज्ञापन उस पर लगाओ और इस आशा में लिखते जाओ कि शायद कुछ मिल जायेगा तो वह एक स्वप्न है। अभी तक वही कमा रहे हैं जिन्होंने डोमेन खरीदा है यानि वेब साइट बनाई है।
मेरा एक मित्र है जिसकी बिल्कुल भी अंतर्जाल में रुचि नहीं है। उसका बेटा साफ्टवेयर का कुछ काम जानता है। अभी तक बेरोजगार है। मैने अपने मित्र को अपने ब्लाग के बारे में बताया था तो उसने मुझसे पूछा था कि‘ क्या मुझे उससे आय हो रही है।‘ मेरे इंकार करने पर उसने बताया कि उसका बेटा किसी व्यक्ति के साथ वेबसाइट बना रहा है और उससे उनको आय होने की संभावना है। उससे मिली जानकारी के आधार पर पता चला कि उसका लड़का तो फिर अलग हट गया और उस वेबसाइट पर कुल पंद्रह हजार बनाने का खर्चा आया। मेरे मित्र ने ही बताया कि उनको आय के रूप में एक चेक मिल चुका है। आज मैंने उस वेबसाइट का निरीक्षण किया। मैंने अपने मित्र से कहा था कि वह उस वेबसाइट बनाने वाले को मेरे ब्लाग का पता पूछकर उससे राय मांगे। मेरे मित्र ने कुछ और समझा और आकर मुझे बताया कि तुम्हारे ब्लाग की सामग्री उसके काम की नहीं है।
मैंने आज उस वेबसाइट को देखा। विशुद्ध रूप से साफ्टवेयर के व्यवसाय से जुड़ी उस वेबसाइट का निर्माण मेरे ब्लाग बनाने के बहुत बाद हुआ और उसे चेक भी मिल गया। उसके विज्ञापन देखे तो मुझे लगा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होना चाहिए। अंतर्जाल पर आय के जरिये बने यह अच्छी बात है। मैंने हमेशा ही कहा है कि जिनके लिए यह व्यवसास बन सकता है वह अपने परिश्रम में कोई कमी नहीं रखें। जैसे जैसे मैंने गौर किया तो पाया कि उस बेवसाइट पर हिंदी में भी मनोरंजन और साहित्य जैसा कुछ दिखाने का प्रयास हो रहा है। पर उसका जो मुख्य पृष्ठ है उसमें अंग्रेजी में ही साफ्टवेयर के बारे में लिखा हुआ है। उसके वेबसाइट के मालिक ने मेरी विषय सामग्री के बारे में कहा कि वह उसके काम की नहीं है पर उसने यह भी बताया था कि केवल एक-दो कविता या आलेख उसने देखा था। मेरे मित्र का कहना था कि उसने यह भी कहा कि जब तक वह डोमेन नहीं लेंगे उनकी आय की संभावन नगण्य ही है।
वह मेरा मित्र अंतरंग है और जब भी मिलता है ब्लाग के बारे में चर्चा करते हुए कहता है कि-‘कुछ पैसा खर्च करो तो तुम्हें भी आय हो जायेगी। इस तरह केवल लिखने से काम नहीं चलेगा।‘
मैं उसकी बात सुनकर हंसता हूं। मुझे ताज्जुब होता है कि अंतर्जाल के बारे में कोई जानकारी न होने के बावजूद वह यह बात बड़े आत्मविश्वास से अपनी बात कहता है। उसको यह ज्ञान मेरे और अपने बेटे द्वारा बतायी गयी बातों पर ही आधारित है। बहुत दिन तक उसकी बातों का विश्लेषण करता रहा। अब मेरे सामने वैसे ही निष्कर्ष आ रहे हैं जैसा वह कहता आया है।
अनेक अंतर्जाल लेखक समय समय पर अपने विचार प्रकट करते रहे हैं यह अलग बात है कि कुछ अपनी व्यवसायिक मजबूरियों के कारण लिखते नहीं है और लिखते हैं तो संभवतः छदम नामों से। वजह यह है कि कोई भी संतुष्ट नहीं है। एक ब्लाग लेखक ने इस पर जमकर लिख था और उसे मैंने अपने दिमाग में पूरी तरह स्थापित कर लिया। उसने तो यह भी लिख दिया कि डोमेन बेचने वालों ने बहुत आशा से अपना काम प्रारंभ किया परंतु उन्हें बहुत निराशा हाथ लगी। उसने डोमेन बेचने वाली कंपनियों के बाकायदा नाम देते हुए उनके गुणों के साथ दोषों का भी वर्णन किया। केवल ब्लाग लिखने से कमाई नहीं होगी ऐसा उसने नहीं लिखा पर उससे मुझे यह बात भी लगी।
अनेक ब्लाग लेखक अप्रत्यक्ष रूप से कई ऐसी बातें कह जाते हैं कि उसके प्रभाव क्या होंगे इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते। डोमेन बेचने वाली कंपनियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का साहस उस ब्लागर ने वर्डप्रेस के ब्लाग पर ही किया-मैंने इस बात पर गौर किया। वर्डप्रेस के ब्लाग पर लिखना मतलब फ्री में लिखना है पर उसने लिखा।
अब कई ब्लाग धीरे-धीरे वेबसाइट के रूप में परिवर्तित होते जा रहे हैं। इनमें से कुछ को मैंने लिंक भी किया है। इसके बावजूद मुझे ऐसा लग रहा है कि वेबसाइट धारक और ब्लाग धारक अपने आप में एक विभाजन है-यह विभाजन भी मैंने नहीं बल्कि एक ब्लाग लेखक ने ही किया है जो अब स्वयं वेबसाइट चला रहा है। हां, यह अंतर अब लिखने और पढ़ने पर भी दिखने लगा है। मैं अर्थशास्त्र का विद्यार्थी और परिवार की व्यापारिक पृष्ठभूमि के कारण कई ऐसी चालाकियों को आसानी से देख लेता हूं जो कोई अन्य नहीं देख लेता। किसी ने ब्लाग को वेबसाइट बनाया इस पर भी कोई आपत्ति नहीं है और जिसने बनवाई उसमें भी मैं दोष नहीं देखता। जब शुरूआती दौर में मैं ब्लाग लेखकों को अपना उत्साह बढ़ाते हुए देखता था तो सोचता कि क्या यह सभी केवल शौकिया ही ऐसा कर रहे हैं या उनका कोई व्यवसायिक उद्देश्य है। अंतर्जाल पर हिंदी लिखने का अभियान कई लोगों ने चला कर रखा है पर धीरे-धीरे सबकी असलियत सामने आती जा रही है। मुझे अपना ब्लाग वेबसाइट में बदलना आता ही नहीं इसलिये यह संभव नहीं है। दूसरा यह कि जिन ब्लाग लेखकों ने बनाकर आय अर्जित की है उनकी आय का सही अनुमान लगाते हुए यह भी लगता है कि अभी इतनी आय उनको नहीं होती जितनी कि घर के लिए आवश्यक है। एक बात तय रही कि हिंदी को अंतर्जाल पर लिखने के अभियान में सभी लोग शौकिया नहीं है उनमें कुछ लोगों उदद्ेश्य यह भी है कि किसी तरह डोमेन बिकवाये जायें। हो सकता है कि यह सच किसी को कड़वा लगे पर मुझे वह यहां दिखाई देते हैं। मजे की बात यह है कि वेबसाईट धारक लोगों ने ही ऐसी बातें लिखी हैं जिससे मैं यह सब विचार बनाता गया हूं।
यहां यह भी स्पष्ट कर दूं कि मैं कई बातें यहां नहीं लिख रहा क्योंकि सभी लोगों के प्रति मेरे मन में मैत्री भाव है। मैं यह भी बता सकता हूं कि किस तरह उन वेबसाईट धारकों को इतने पाठक मिल जाते हैं जिनसे उनके विज्ञापन खाते दूसरों के बनिस्बत अधिक चलायमान होते हैं-शायद वह स्वयं भी नहीं समझते होंगे। कुछ अंतर्जाल लेखकों की गतिविधियों से ही मुझे यह आभास हो जाता है कि वह किस तरह लाभ उठा रहे हैं। एक ब्लाग लेखक ने दूसरे का संदर्भ देते हुए लिखा कि ‘मैं 1000 ऐसे पाठक लेकर क्या करूंगा जो मुझे एक पैसा भी नही दिलवा सकते। मैं तो ऐसे 10 पाठक ही चाहूंगा जो मुझे कुछ दिलवा सकें।’ अब इसमें मुझे दिमाग चलाने की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ी।’
यहां दो तरह के लोग लाभ उठाने वाले लगते हैं। एक तो जो डोमेन बिकवाना चाहते हैं दूसरा वह लोग हैं जो यहां थोड़ा बहुत लिखकर बाहर अपनी छवि बनाना चाहते हैं। ऐसे लोग लिखने वालों को प्रेरित करते हुए दिखने का काम भी करते हैं। कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी कर यह दिखाते हैं कि वह अंतर्जाल पर हिंदी लिखवाने के लिए कितना काम कर रहे है। पहले तो मैं समझा कि एक दो लोग हैं पर अब लगने लगा है कि एक समूह है जो इस तरह के काम में लगा है।
ऐसे में मेरे जैसे आम लेखक की कोई अधिक भूमिका होती भी नहीं। मन में कभी आता है कि यार थोड़ी आय हो जाती तो और मजे का लिख लेते। तकनीकी कौशल और प्रबंधक की प्रवृत्ति के अभाव ने कहीं भी नहीं पनपने दिया शायद यहां अवसर मिल जाये। धीरे-धीरे इस आशा को ही छोड़ ही दिया। लाभ उठाने वाले लोगों के लिए मैं कोई प्रिय व्यक्ति नहीं हो सकता। फिर भी जो ब्लाग लेखक कमाना चाहते हैं उनके लिए यह आवश्यक है कि इन दोनों प्रकार के लोगों से संपर्क बढ़ायें। जिनको स्वांत सुखाय लिखना है वही केवल ब्लाग पर डटे रहें क्योंकि हिंदी के पाठक जैसे जैसे बढ़ने लगेंगे तब उनकी चर्चा होगी और हो सकता है तब वह लाभ ले सकें। बाकी यहां तो जब शीर्षस्थ ब्लाग लेखकों की कोई सूची किसी ब्लाग, समाचार पत्र, या टीवी चैनल पर आती है वह तो रणनीति में दक्ष ब्लाग लेखकों की आती है। केवल लिखने में ही नहीं बल्कि फोरमों पर पढ़ने में भी रणनीति अपनायी जा रही है। आप ब्लागवाणी पर हिट देखकर अंदाजा लगा सकते हैं।
फिर भी मैं मानकर चलता हूं कि कुछ तो मेरे मित्र हैं जो मुझे चाहते होंगे। आखिर मैं तो किसी से कोई आशा नहीं करता। मैं पहले भी कह चुका हूं कि मैंने अभी तक केवल एक ब्लाग लेखक के साथ प्रत्यक्ष मुलाकात की है-वह हैं श्री सुरेश चिपलूनकर। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व देखकर कह सकता हूं कि वह भी मेरी तरह ही हैं। कुछ लोगों का मेरे प्रति स्नेह भाव है वह मुझे द्रवित कर देता है। ऐसे लोगोंे की संख्या यहां अधिक है पर वह शांति से अपना लिखते हैं पर कई ऐसे लोग जो चमक रहे हैं वह अपने लिखे से कम अपनी चालाकियों से अधिक प्रभाव बनाये हुए हैं। ऐसे में आम ब्लाग लेखकों को अपने समूह बनाते हुए आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि तकनीकी रूप से ब्लाग और वेबसाइट में कोई फर्क नहीं है सिवाय इसके कि उस पर पैसा खर्च कर
जल्दी पैसा कमाने की आशा कर सकते हैं। सच मैं नहीं जानता पर वेबसाइट बनाकर भी केवल लिखकर यह संभव नहीं हैं-जिन लोगों ने पैसा कमाया है उसकी वजह उनका पुराना होना तो है ही साथ ही ब्लाग लिखने के लिए दूसरों को प्रेरित करते हुए उनको पाठक भी अधिक मिल जाते हैं-कैसे? इस पर फिर कभी।