ऐक सामाजिक संगठन को
योग्य दामाद प्रतियोगिता करने का
शौक चर्राया
समाज में लड़के अच्छे दामाद
बनने का प्रयास करें
उद्देश्य यह बताया
सब जगह दिये विज्ञापन
शहर के हर गली और मुहल्ले में
जमकर प्रचार कराया
शर्त और नियमों के साथ
शहर भर के दामादों से
अपना आवेदन मँगवाया
शर्तें कुछ ऐसी थीं
हर दामाद अपनी पत्नी को
हर सप्ताह मायके ले जाता हो
रहता हो दूसरे शहर में
तो माह में ऐक बार आता हो
सास-ससुर के लिये हो सम्मान
पीठ पीछे भी कभी नहीं किया हो
अपनी पत्नी के सामने अपमान
बिना दहेज के की हो शादी
सास-ससुर का माल खाने का न हो आदी
उनके सेवा के लिये तत्पर रहता हो
आवेदन के साथ सास-ससुर के
प्रमाण-पत्र भेजने की शर्त को
अनिवार्य बताया
कई माह तक कोई
आवेदन पत्र नहीं आया
आयोजक हुए परेशान
क्या होगा इस समाज का
क्यों नहीं है समाज में ऐक भी
योग्य दामाद
चर्चा के लिये बुजुर्ग और
प्रतिष्ठित लोगों को बैठक को
अपने कार्यालय में बुलाया
एक बुजुर्ग ने कहा
तुम लोग भी अजीब हो
भला किस सास-ससुर को
सतयुग और त्रेतायुग में भी
यह संभव नहीं हुआ
फिर इस घर कलियुग में
कैसे संभव है कि किसी सास-ससुर को
ऐसा दामाद नसीब हो
कोई भी दामाद किसी भी तरह
सास-ससुर की सेवा नहीं कर सकता
चाहे कितना भी गरीब हो
ऐसा दामाद इस भूलोक में तो
मिलना संभव नहीं है
देवलोक में ही हो सकता है
योग्य दामाद नाम का कोयी प्राणी
यहाँ मिल जाय और तुम्हारी
इतनी शर्तें पूरी कर सके
धरती माता ने कोई अब तक
ऐसा बेटा ही नहीं बनाया
—————————