जिंदा और चलते फिरते इंसान की
खिदमत में
उसके गले पर चढ़ती है फूलों की माला
अगर बन जाये कोई इंसान लाश
तो भी श्रद्धांजलि में भी
शव पर बिछ जाती है फूलों की माला
जिन पर है दौलत की दुआ
उन इंसानों के पैदा होने पर खुश
और मरने पर रोने वाले बहुत हैं
पर बिखेरते हैं हर पल जिंदा खुशबू
उनके उन फूलों के खिलने पर कौन हंसता है
और कौन है मुरझाने पर रोने वाला
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क्योंकि इंसान कभी फूलों की तरह
खुशबू नहीं बिखेर पाते
इसलिये ही अपने जिंदा रहते हुए
अपनी खिदमत में खुद
और मरने पर मातम में
उनके अपने उन पर फूलों की बरसात करवाते
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