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भक्ति से बड़ा सोने का चमत्कार-हिन्दी व्यंग्य कविता (bhakti se bada sone ka chamatkar-hindi satire poem)


भक्ति के व्यापार में
संतों के दरबार
भक्तों के भाव से
सोने की ईंटों और डालरों से
भर जाते हैं,
संत शायद इसलिए ही
चमत्कारी कहे जाते हैं।
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चमत्कार के व्यापारियों ने
धर्म को बाज़ार में सजा दिया,
धार्मिक भावनाओं का दोहन करते हुए
सोने का भंडार दरबार में लगा लिया।
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चमत्कार बेचकर
संतों का बिल्ला अपनी कमीज़ पर
उन्होने लगा लिया,
भक्तों के भावों को
बदलते रहे सोने और रुपयों में
अपने चमत्कारी होने का प्रमाण दिया
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
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बाजार में बिकें वही भगवान हैं-हिन्दी हास्य कवितायें


अब कोई जंग नहीं लड़ना,
सच में किसी का भला न करना।
अब भगवान कहलाने के लिये
हाथ पांवों की अदाऐं सरे आम दिखाना,
जहां बाज़ार के सौदागर करें इशारा
वही उनकी दौलत का बनाना ठिकाना,
बाकी कम सौदागरों के दलाल करेंगे,
चमकायेंगे तुम्हारा नाम, कहीं खाते भरेंगे,
तुम बस, बुत की तरह, बाज़ार के भगवान बनना।
——–
बाज़ार में नीलाम हो जायें
वही लोग आजकल कहलाते ‘बड़े’ है,
डरते है जो बिकने से या काबिल नहीं बिकने के
वह छोटे इंसानों की पंक्ति में राशन लेने खड़े हैं।
———-
अब इस धरती पर
भगवान अवतार नहीं लेते,
जिसकी नीलाम बोली ऊंची लगायें सौदागर
लोग उसे ही भगवान मान लेते।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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