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जैसा होगा ख्यालों का दरिया


गरीब का जीना क्या मरना क्या
अमीर का जीतना क्या हारना क्या
इस जीवन को सहज भाव से वही
बिता पाते हैं
जो इन प्रश्नों से दूर
रह जाते हैं

जिन्दगी एक खेल की तरह है
इसे खिलाड़ी की तरह जियो
दूसरे की रोशनी उधार लेकर
अपने घर के अँधेरे दूर करने की
कोशिश मत करना
अपना कुँआ खुद खोदकर पानी पियो
भौतिक साधनों के अभाव पर
अपने अन्दर इतनी पीडा मत पालो कि
हर पल तुम्हारा ख़ून जलता रहे
ऐसे लोग हंसी के पात्र बन जाते हैं

देखो इस धरती और आकाश की ओर
तुम्हारी साँसों के लिए बहती हवा
बादलों से गिरता पानी
सूर्य बिखेरता अपने ऊर्जा
और अन्न प्रदान करती यह धरती
क्या यह दौलत कम है
जिन्दा रहने के लिए
माया के खेल तो
बनते है बिगड़ते हैं
उसमें हार-जीत पर क्या रोना
दृष्टा बनकर इस ज्ञान और सत्य के
साथ जीते हैं जो लोग
वही मरने से पहले
हमेशा जिन्दा रह पाते हैं
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कौन गरीब कौन अमीर
कौन संतरी कौन वजीर
देखने का है अपना-अपना नजरिया
मन में कीचड है तो चारों और दिखेगा
और कमल की तरह खिला है मन तो
चारों और महकेगा
वैसा ही सब तरफ होगा
जैसा होगा तुम्हारा ख्यालों का दरिया

मामला एक कंपनी का – हिंदी हास्य कविता (hindi hasya kavita


हीरो ने कहा निर्देशक और निर्माता से
‘आज शूटिंग नहीं करूंगा
पैकअप करा दो
मेरा मूड है खराब’
निर्माता ने अपना मोबाइल
उसकी तरफ बढ़ाया और कहा
‘मैंने नंबर लगा दिया है
पहले इस पर बात कर लो
फिर देना जनाब’

हीरो ने नंबर देखा और घबडाया
अपने सेक्रेटरी को बुलाया
उसने जब मामला समझा
तब उसने भी अपना मोबाइल
निर्माता की तरफ बढाया
और कहा
‘उस बिचारे को क्या धमकाते हो
मुझ से बात करो
आप इस नंबर पर बात करो पहले जनाब ‘

निर्माता का सेक्रेटरी भी वहीं खड़ा
उसने भी नंबर देखा और खुश होकर बोला
‘अरे काहेका झगडा आप और हम एक ही
कंपनी का मोबाइल इस्तेमाल करते हैं
एक ही कंपनी से एक ही नबर पर
एक जैसी बात करते हैं
फिर क्यों झगडा करते हैं साहब’

हीरो ने कुछ सुना कुछ समझा
और बोला
‘बात एक कंपनी ही की है
अपना मोबाइल एक कंपनी का
अपना प्यारा नंबर एक कंपनी का
यह सुनकर मैं खुश हुआ
अब तो शूटिंग शुरू करो जनाब’
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जैसे कोई डाक्टर पीछे आया- हिंदी हास्य कविता (hasya kavita)


एक आदमी ने सुबह-सुबह
दौड़ लगाने का कार्यक्रम बनाया
और अगले दिन ही घर से बाहर आया
उसने अपने घर से ही
दौड़ लगाना शुरू की
आसपास के लड़के बडे हैरान हुए
वह भी उनके पीछे भागे
और भागने का कारण पूछा
तो वह बोला
‘मैने कल टीवी पर सुना
मोटापा बहुत खतरनाक है
कई बिमारियों का बाप है
आजकल अस्पताल और डाक्टरों के हाल
देखकर डर लगता है
जाओ इलाज कराने और
लाश बनकर लौटो
इसलिये मैने दौड़ने का मन बनाया’

लड़कों ने हैरान होकर पूछा
‘पर आप इस उम्र में दौडैंगे कैसे
आपकी हालत देखकर हमें डर समाया’
उसने जवाब दिया
‘जब मेरी उम्र पर आओगे तो सब समझ जाओगे
लोग भगवान् का ध्यान करते हुए
योग साधना करते हैं
मैं यही ध्यान कर दौड़ता हूँ कि
जैसे कोई मुझे डाक्टर पकड़ने आया
अपनी स्पीड बढाता हूँ ताकि
उसकी न पडे मुझे पर छाया

सात समंदर भी कम होंगे


अगर सुबह का भूला शाम को
घर लौट आये तो बुद्धिमान कहलाता
पर रात को जो भटका घर लौटे तो
उसको माफ़ क्यों नहीं किया जाता
शायद आदमी के पाप सूरज की अग्नि में
जलकर राख हो जाते हैं पर
रात को अंधियारे में चाँद की तरह लगा दाग
कभी नहीं मिट पाता
इसीलिए भी रात का भटका
कभी घर वापस नहीं आता
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एक घूँट मिले तो ग्लास चाहिए
ग्लास मिले तो गागर चाहिए
गागर मिले तो सागर चाहिए
प्यास अगर पानी से बुझने वाली होती तो
कोई जंग नहीं होती
पर जो पैसे से बुझती है
उसको बुझाने के लिए तो
सात समंदर भी कम होंगे
उसके लिए तो दिल को तसल्ली
देने के लिए कोई अच्छा ख्याल चाहिए
आदमी को पैगाम पर पैगाम देने कुछ नहीं होगा
उन पर अमल करने का जज्बा चाहिए