Tag Archives: hindi poem

ख्वाबों का व्यापार-हिंदी शायरी


सूरज की रौशनी लेकर
चमकता हुआ पत्थरों का पहाड़ चांद
गीतों और गजलों में
नायक बन गया,
किसी ने साजन का चेहरा
चांद जैसा माना,
किसी ने सजनी जैसा
खूबसूरत माना,
जिसने लफ्जों को दिया सुर
वह गायक बन गया।
कहें दीपक बापू
ख्वाबों का देखना बुरा नहीं है
मुश्किल यह है कि
दहलाने वाली हकीकतें भी खड़ी वहीं हैं,

बाज़ार में बिकते है सपने

सौदागरों के हाथ में आ गये दिल अपने,
बहलाने के लिये कभी कपड़े बदले जाते,
कहीं पुराने पुतले हटते ही अगले आते
ख्वाबों में होती नये ज़माने की सजावट
जिंदगी के अमिट सच में कुछ नया नहीं है।

————————————————

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप

ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”
Gwalior Madhyapradesh

वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर

poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro

 

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धरती पर जन्नत लाने का सपना-हिन्दी कविता (dharti par jannat lane ka sapna-hindi kavita or hindi poem)


कितनी बार भी भूख लगी
खाने पर मिट गयी,
कितनी पर प्यास भी लगी
पानी मिलने पर मिट गयी,
मगर पड़ी जो दिल में दरारें
बनी रहीं चाहे पीढ़ी दर पीढ़ी मिट गयी।
———–
वह लोगों में
धरती पर जन्नत लाने का
सपना सजाते हैं,
वादों को बड़ी खूबसूरती से सजाते हैं,
एक बार जो चढ़ गये सिंहासन की सीढ़ी
फिर महलों से बाहर नहीं आते हैं।
दिल मिलाने की बातें भले ही करते
मगर दरारें चौड़ी ही किये जाते हैं।
लेखक और संपादक-दीपक “भारतदीप”,ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior

writer aur editor-Deepak ‘Bharatdeep’ Gwalior

विकास और मजदूर-हिन्दी व्यंग्य क्षणिकायें (vikas aur mazdoor-hindi vyangya kshnikaen)


विकास की इमारत में
किसी मजदूर का खून
पसीना बनकर बह रहा है,
वह फिर भी गरीब है
उसका अभाव
पुराने शोषण की पुरानी कहानी कह रहा है।
————
दौलतमंदों की तिजोरी में
जैसे जैसे रकम बढ़ती जायेगी,
कागजों पर पर गरीबी की रेखा
उससे ज्यादा चढ़ती नज़र आयेगी।
————
यकीनन विकास बहुत हुआ है
पर हम वहीं खड़े हैं,
सभी कह रहे हैं
देश विकास की राह पर
दौड़ता जा रहा है
हम यकीन कर लेते है
देश बड़ा है
हम थोड़े ही बड़े हैं।
———-
विकास में अमीर
जमीन से आकाश पर चढ़ते हैं,
मगर गरीब हमेशा
अपनी पुरानी रोटी की
लड़ाई पुराने ढंग से ही लड़ते हैं।
लेखक संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athour and writter-Deepak Bharatdeep, Gwalior

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पहले से सब तय है-हिन्दी साहित्यक कविताएँ


चेतन हैं
पर जड़ जैसे दिखते हैं,
कलम उनके हाथ में
पर दूसरे के शब्द लिखते हैं।
चमकदार नाम वही चारों तरफ
पर उनके चेहरे बाज़ार में
दाम लेकर बिकते हैं।
—————
एक सवाल उठाता है
दूसरा देता है जवाब।
बहसें बिक रही है
विज्ञापन के सहारे
चेहरे पहले से तय हैं,
जुबान से निकले
और कागज़ में लिखे शब्द भी
पहले से तय हैं,
निष्कर्ष कोई नहीं
पर बात हमेशा होती है लाजवाब
—————-
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior

http://dpkraj.blogspot.com
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खौफजदा है पूरा शहर-हिन्दी कविता (kaufzada hai pura shahar-hindi poem)


धीरे चलो
सड़क पर गड्ढे ज्यादा हैं,
गिर गये तो
घायल होकर तड़पते रहोगे
उस राह से गुजरता हर इंसान
तुम्हें चूहा समझकर आगे बढ़ जायेगा।
खौफजदा है पूरा शहर
अपने अंदेशों में
भला कौन तुम्हारी मदद को आयेगा।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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