Category Archives: horar show

मोबाइल, वह और………..hasya kavita


मोबाइल की बेटरी में खराबी की
खबर ने उसे हिला दिया
क्योंकि उसने अपनी गर्ल फ़्रेंड को दिये थे
उसी कंपनी की मोबाइल प्रेजेंट जिनकी बेट्री
के फ़ट्ने की खबर ने देश में भूचाल ला दिया
मिलता था वह जिन   गर्लफ्रैंडस  से
अलग दिन और अलग जगह पर
बेटरी फटने के भय  ने
सबको एक ही दिन और ऐक ही समय 
उसकी होस्टल  के कमरे की  छत के नीचे 
आपस में मिलवा  दिया
 
उसने सबको एक ही कंपनी के
मोबाइल तोहफ़े में दिये थे
जिनकी बेटरी  फटने के चर्चे
टीवी चैनलों ने किये थे
भय से काँपती सब उसके रूम में पहुँची
अपने मोबाइल की बेटरी
बदलवाने का आग्रह लेकर  
 पर जो देखा वहां का मंजर
वह  गुस्से में सब भूल  गयीं  और मिलकर
उसे छठी का दूध याद दिला  दिया
जिसे जो मिला उसके सिर पर मार दिया
 
 
 वह पिटा-कूटा अपने कमरे में  पडा था
ऐक दोस्त ने आकर उसे उठाया
वजह पूछी पर वह कुछ नहीं बता रहा था
बस ऐक ही बात रोते हुए  दोहरा रहा था
‘मोबाइल वालों तुमने यह क्या किया
बेटरी फट जाने देते
पहले ही प्रचार क्यों किया
जिस कंपनी के मोबाइल खरीद्कर लव में
हो गया था हिट उसने ही आज पिटवा दिया
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भूखे को नही दें रोटी , भूत के लिये खोलें तिजोरी-hasya kavita


बरसात का दिन, रात थी अंधियारी
गांव से दूर ऐक झौंपडी में
गरीब का चूल्हा नही जल पाया
घर में थी गरीबी की बीमारी
भूख से बिलबिलाते बच्चे और
पत्नी भी परेशानी से हारी
देख नही पा रहा था
आखिर चल पडा वह उसी साहुकार के घर
जिसने हमेशा भारी सूद के साथ
जोर जबरदस्ती वसूल की रकम सारी
जिसकी वजह से छोडा था गांव
और उसके परिवार सहित मरने की
झूठी खबर सुनकर भूल गयी थी जनता सारी

बरसात में भीगे सफ़ेद कपडे उस पर
जमी थी धूल ढेर सारी
आंखें थीं पथराईं गाल पर बह्ते आंसु
साहुकार के घर तक पहुचते-पहुंचते
चेहरा हो गया ऐकदम भूत जैसा
रात के अंधियारे में देखकर उसे
सब घबडा गये वहां के नौकर
भागते-भागते मालिक को देते गये खबर सारी

जब तक वह संभलता पहुंच गया उसके पास
ताकतवर बना गरीब अपने भूत की बलिहारी
जिसकी आवाज थी, बंद मन था भारी
उसने मांगने के लिये हाथ एसे उठाये
जैसे हो कोई भिखारी
साहुकार कांप रहा था
भागा अंदर और अल्मारी से
निकाल लाया नोटों की गड्ढी
और आकर उसके हाथ में दी
कागज पर अंगूठा लगाने के
इंतजार  में वह खडा रहा
कांपते हुए साहुकार ने कहा
”और भी दूं’
तेज बरसात की आवाज में उसने नहीं सुना
बस स्वीकरोक्ति में अपना सिर हिलाया
साहुकार फ़िर अंदर गया और गड्ढी ले आया
और उसके हाथ में दी
उसने हाथ में लेते हुए
अंगूठे के निशान के लिये किया इशारा
साहुकार था डर का मारा बोला
‘महाराज उसकी कोई जरूरत नहीं है
आप मेरी जान बख्श दो, चाहे ले लो दौलत सारी’
वह लौट पडा वापस यह सोचकर कि
मेरी परेशानी से साहुकार द्रवित है
इसलिये दिखाई है कृपा ढेर सारी

साहुकार का ऐक समझदार नौकर
पूरा दृश्य देख रहा था
वह उस गरीब के पीछे आया
और उससे कहा
‘मैं जानता हूं तुम भूत नहीं हो
बरसात की वजह से तुम्हें काम
नहीं मिलता होगा इसलिये कर्जा मांगने आये हो
अपने हाल की वजह से भूत की तरह छाये हो
कभी तुमने सोचा भी नहीं होगा
आज इतने पैसे पाये हो
कल तुम छोड् देना अपना घर
वरना टूट पडेगा साहुकार का कहर्
कल फ़ैल जायेगी पूरे गांवों में खबर सारी
मैं भी तुम्हारी तरह गरीब हूं
इसलिये करता हूं तरफ़दारी’
उस गरीब के समझ में आयी पूरी बात
और भूल गया वह अपनी भूख और प्यास
और नोटों की गड्ढी की तरफ़ देखते हुए बोला
‘कितनी अजीब बात है
भूखे को रोटी नहीं देते और
भूत के लिये तिजोरी खोल देते
जिंदे को जीवन भर सताएं
मरों से मांगें जान की बख्शीश्
गरीब से करें सूद पर सूद वसूल
उसके  भूत के आगे भूल जायें पहले
अंगूठे लगवाने का उसूल
कल छोड जाउंगा अपना घर
भूतों पर यकीन नही था मेरा
पर अपने इंसान होने की  बात भी जाउंगा भूल
नहीं करूंगा फ़िर जिंदगी सारी
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हीरो को मिली जेल, प्रियतम प्यार में फेल


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एक ही हीरो की फिल्म देखने और
गाने सुनने के शौक़ ने उन दोनों को
आपस में मिलवाया
फिर तो उन्होने फ़िल्मों जैसा ही
प्रेम प्रसंग रचाया

हीरो के जन्म दिन पर
प्रियतम ने प्रेयसी को
फेवरिट हीरो की फिल्मों की
सीडी अपने पहले उपहार के रुप में दीं
और उसने फिल्म में दिया था जैसा
सोने का हार वैसा ही उसे पहनाया
दोनों ने एक होटल में
केक काटकर जश्न मनाया

उसकी हर फिल्म
पहले दिन पहले शो में देखी और
हर गाने पर शोर मचाया
जब प्रेम फिल्मों जैसा था
तो फिल्म जैसी समस्या भी आनी थी
और वह दिन भी आया जब
हीरो को उसके काले कारनामों ने
सीधे असली जेल भिजवाया
प्रियतम तो गया संभल पर
प्रियतमा का हृदय घबडाया
और उसने जेल के बाहर जाकर
अपना डेरा जमाया

इधर प्रियतम ने रोज मिलने के
ठिकाने से जब उसे नदारद पाया
तो बहुत घबडाया
उसने अपनी प्रेयसी के मोबाइल पर
कई बार बजाई घंटी पर उसे बंद पाया
इधर-उधर ढूँढता रहा
अखिर जेल के दरवाजे से
हीरो का दर्शन किये बग़ैर लौटे
उसके ऐक मित्र ने उसे
प्रेयसी का पता बताया

वह वहां पहुंचा तो
अपनी प्रियतमा को गम में डूबा पाया
उसे देखते ही वह बोली
‘तुम मुझे प्यार करते हो तो
अन्दर जाकर हीरो का पता लगाओ
उसका हाल जानकार मुझे बताओं’

प्रीतम बोला
‘उसे अपने कर्मों का फल भोगने दो
उससे हमारा अब क्या वास्ता
अब उसे तुम भूल जाओ तुमने तो
अब मुझे अपना हीरो बनाया
बिना अपराध के अन्दर जाना संभव नहीं
सरकार ने कानून ही ऐसा बनाया’

प्रेयसी को गुस्सा आ गया और बोली
‘मुझे इससे मतलब नहीं है
मुझे तो बस हीरो के दर्शन करने हैं
आज तुम्हारे इम्तहान का समय आया
उस हीरो की वजह से तुम्हारा और मेरा मिलन हुआ
जिसे किस्मत ने सींखचों के पीछे पहुंचाया’

जब प्रियतम ही अपनी जताई असमर्थता
तब वह बोली
‘हीरो गया जेल और तुम्हें उस पर
बिल्कुल भी तरस नहीं आया
मैंने तो उसकी तस्वीर तुम में
देखकर ही तुमसे प्यार रचाया
उसके समर्थन में देखो कितने
लोगों ने आवाज उठाई है और तुमने
ऐक भी नहीं लगाया नारा
तुम प्यार के इम्तहान में फेल हो गये
आज मैंने तुम्हें आजमाया’

बहुत समझाने पर भी वह नहीं मानी
तब प्रियतम को भी गुस्सा आया और बोला
‘अच्छा ही है जो तुमने
अपना असली रुप दिखाया
नकली हीरे को असली समझकर
उसमें दिल लगाने की बात मेरे
समझ में भी नहीं आयी
परदे की हीरो जिन्दगी के विलेन
अभिनय कें दिखाएँ बहादुरी और जिन्दादिली
हकीकत में कमजोर और बेरहम
लिखे डायलाग बोलने वाले
क्या बेजुबानों की भाषा समझेंगे
उनके चाहने वालों की बुद्धि पर
तो मुझे शक होता है
अच्छा ही उसे मिली जेल
मैं हुआ प्यार में फेल’
ऐसा कहकर प्रियतम अपने घर चला आया