Category Archives: माँ-बाप

हास्य कविता -नाम कमाने के चक्कर में मत पडना


बालक ने अपने शिक्षक को बताया
‘ मैं बड़ा होकर करूंगा समाज सेवा’
शिक्षक ने कहा
‘तब तो तुम अच्छी तरह पढ़-लिख लो
बडे आदमी बन जाओ
अपने नाम के आगे उपाधियां लगाओ
और कहीं से पुरस्कारों की जुगाड़ लगाओ
फिर भले ही दिखाने के लिए करना समाज सेवा
होगी तुम्हारी इज्जत चारों तरफ
बग़ैर इनके चाहे कितनी भी कर लो
कोई नहीं होगा नाम लेवा’

बालक ने अपने पिता से कहा
पहले तो वह चकराये फिर बोले
‘जो राह बताई है तुम्हारे शिक्षक ने
उसी राह पर चलना
पहले अपना घर भरना सीख लो
आजकल मीडिया बहुत पावरफुल है
बाँट देना कुछ कंबल और अनाज
फोटो खिंचवा कर टीवी और अखबार में
विज्ञापन के रुप में छपवा देना
इससे पहले उपाधियों और पुरस्कार का
अपनी नेम प्लेट पर अंबार लगा लेना
फिर तुम्हें प्रसिद्धि दिलाएगी समाज सेवा

बालक का मन फिर गया
उसने सोचा
पहले उपाधियों और पुरस्कारों के
अपने लिए ढ़ेर लगा लूं
शायद तभी होगी समाज सेवा’
फिर उसने अपने दादाजी से पूछा
तो उन्होने कहा
‘तुम अपने मन की बात किसी से न कहना
तेरे निच्छ्ल मन को वह नहीं
कभी समझ पाएंगे
अभी जमकर पढ़-लिखना
पर अपने मन में समाज के लिए
सच्ची हमदर्दी रखना
शक्ति का संचय तो करना क्योंकि
वही समाज सेवा के काम आयेगी
पर नाम कमाने के चक्कर में मत पडना
वरना वह झूठी हो जायेगी
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हास्य कविता -इस तरह वह शादी न हो सकी


मंडप में पहुंचने से पहले ही
दूल्हे ने दहेज़ में
मोटर साइकल देने की माँग उठाई
उसके पिता ने दुल्हन के पिता को
इसकी जानकारी भिजवाई
मच गया तहलका
दुल्हन के पिता ने
आकर दूल्हे से किया आग्रह
शादी के बाद मोटर साइकल देने का
दिया आश्वासन
पर दूल्हे ने अपनी माँग
तत्काल पूरी करने की दोहराई

मामला बिगड़ गया
दूल्हे के साथ आए बरातियों ने
दुल्हन पक्ष की कंगाल कहकर
जमकर खिल्ली उडाई
दूल्हन का बाप रोता रहा ख़ून के आंसू
दूल्हे का जमकर हंसता रहा
आख़िर कुछ लोगों को आया तरस
और बीच-बचाव के लिए दोनों की
आपस में बातचीत कराई
मोटर साइकल जितने पैसे
नकद देने पर सहमति हो पाई

दुल्हन के सहेलियों ने देखा मंजर
पूरी बात उसे सुनाई
वह दनदनाती सबके सामने आयी
और बाप से बोली
‘पापा आपसे शादी से पहले ही
मैंने शर्त रखी थी कि मेरे
दूल्हे के पास होनी चाहिए कार
पर यह तो है बेकार
मोटर साईकिल तक ही सोचता है
क्या खरीदेगा कार
मुझे यह शादी मंजूर नहीं है
तोड़ तो यह शादी और सगाई’

अब दूल्हा पक्ष पर लोग हंस रहे थे
‘अरे, लड़का तो बेकार है
केवल मोटर साइकिल तक की सोचता है’
बाद में क्या करेगा अभी से ही
दुल्हन के बाप को नोचता है
क्या करेंगे ऐसा जमाई’

बात बिगड़ गयी
अब लड़के वाले गिडगिडाने लगे थे
अपनी मोटर साइकल की माँग से
वापस जाने लगे थे
दूल्हा गया दुल्हन के पास
और बोला
‘मेरी शराफत समझो तुम
मोटर साइकल ही मांगी
मैं कार भी माँग सकता था
तब तुम क्या मेरे पास हवाई जहाज
होने का बहाना बनाती
अब मत कराओ जग हँसाई’
दुल्हन ने जवाब दिया
‘ तुम अभी भी अपनी माँग का
अहसान जता रहे हो
साइकिल भी होती तुम्हारे पास
मैं विवाह से इनकार नहीं करती
आज मांग छोड़ दोगे फिर कल करोगे
मैंने तुममें देखा है कसाई’
दूल्हा अपना मुहँ लेकर लॉट गया
इस तरह शादी नही हो पायी
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हास्य कविता -प्रवेश वर्जित


कई बार चुनाव हार चुके
और अब राजनीति से निवृत होने के बाद
गुरुजी ने डाली’पोलिटिक्स कोचिंग की नींव
और एडमीशन की शर्तों में खुल्लम खुल्ला
बाहर बोर्ड पर ही लिख दिया
‘सामान्य आदमी के बच्चों का प्रवेश वर्जित
केवल उन्हें ही दी जायेगी कोचिंग
जिनके परिवार के सदस्यों ने की होगी
समाज में ख्याति अर्जित’

कोर्स की डिटेल में दिया
‘धनिकों से चन्दा उगाहने
और गरीबों से वोट जुटाने का
पूरा अभ्यास कराया जायेगा
काले धन को सफ़ेद करने
और सफाई से काम करने का
प्रशिक्षण इस तरह दिया जायेगा कि
किसी घोटाले में नाम नही आयेगा
रहेगा सिर हमेशा गर्वित
सफ़ेद चेहरों में नाम रहेगा चर्चित’

जिसे देखो हर खास आदमी
अपने उत्तराधिकारी को वहाँ ला रहा था
सब यही कह रहे थे कि
‘हमारे बच्चे को ट्रेंड कर दो
चाहे जितनी फ़ीस ले लो
पर आम आदमी और उसके बच्चे का
जैसा हर शो बिजिनेस में है
वेसा ही रखो प्रवेश वर्जित’
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हास्य कविता -चेहरे पर होते सब फ़िदा, देखता कोई चरित्र नहीं है


फिल्म निर्माता ने नए चेहरे लेकर
काम करने की योजना बनाई
निर्देशक ने इस पर अपनी आपत्ति जताई
पर फिर मजबूर होकर मान गया
जब निर्माता ने दी कम बजट की दुहाई
दोनों ने मिलकर नए लड़को-लड़कियों से
साक्षात्कार लेकर अपनी फिल्म की कास्ट बनाई
निर्देशक था चालाक
उसने अपने ही चेलों को
अभिनय और गायन में काम
दिलाने की योजना बनाई
पहले कर आया अकेले
साक्षात्कार का नाटक
फिर चयनित उम्मीदवारों की
निर्माता के सामने परेड कराई

पहले आया हीरो की भूमिका का उम्मीदवार
पहने था सिर पर मवालियों वाली टोपी
और हाथ में लिए था चाक़ू
निर्देशक ने उससे दिखावे के लिए पूछा
‘क्या नाम है तुम्हारा’
उसने कहा
‘गबन’
निर्देशक ने पूछा
‘कितने केस कर चुके हो’
उसने कहा
‘अब तक छप्पन’
उसके बाहर जाते ही निर्माता बोला
‘यह तो कहीं से भी हीरो नहीं लगता
इसके चरित्र से तो भय लगता
दर्शक कभी इस विलेन को
हीरो नहीं मानेंगे
बाक्स आफिस पर फिल्म की होगी पिटाई’

निर्देशक बोला
‘तुम्हें फिल्म बनानी है कि नही
बनाकर चलानी है कि नहीं
यह बहुत पहुंच वाला है
बदनाम है तो क्या नाम वाला है
रहा चरित्र का सवाल तो
मत मचाओ बवाल
फिल्म की कहानी में
इससे शांति, प्रेम, दया और अहिंसा को
बुलंद कराने वाले डायलाग बुलवा देंगे
जनता और मीडिया से वाह-वाह दिलवा देंगे
हीरोइन के रुप में भी इसकी गर्लफ्रेंड को चुना है
अगर कही किसी केस में बंद हो गया तो
चर्चा का केंद्र बन जाएगा
ऐक दिन इसके अन्दर जाने का
दूसरे दिन हीरोइन का इससे मिलने जाने का
सब जगह लाइव प्रसारण आएगा
अपनी फिल्म को फोकट में प्रचार मिल जाएगा
जहाँ देखो उसका नाम सुनाई देगा
इससे प्रचार का तुम्हारा खर्च भी बचेगा
कहो कैसी योजना बनाई?’

निर्माता बोला
‘योजना तो बहुत अच्छी है
पर जोखिम बहुत है
मेरी समझ से परे है
पर तुम अमल करो भाई’
निर्देशक बोला
‘आजकल कोई किसी का बंधु और मित्र नहीं है
सब फ़िदा होते है चेहरे पर
कोई देखता किसी का चरित्र नहीं है
अभी तुम दौलत के ढ़ेर पर हो
मैं तुम्हें शौहरत की दूंगा ऊंचाई
कभी नहीं की होगी
ज़िन्दगी में सोचा भी नहीं होगा
इतनी करोगे कमाई

सामाजिक सीरियल या हारर शो


बाप ने बेटे को दी कई बार
अपने पास आने के लिये जोर से आवाज
पर उसने लगा था कानों में इयर फ़ोन
और कोई नही दिया जवाब
फ़िर को प्यार से नाम लेकर  बुलाया
पर उसने भी नहीं सुन पाया
दोनों अपनी किताब पढने में मशगूल थे
दूसरे कमरे में जोर से टीवी
चला रखा था दादी और मां ने
कोई शांति में भी शोर महसूस कर रहा था
तो कोई शोर को  ही बैठा था शांति माने

पिता उठे और जाकर बेटे की
पीठ पर धौल जमाई और बोले
‘पढ रहे हो या हमें ही लगे हो चलाने
गाने सुन रहे हो पढ्ने के  बहाने
हमने भी किये हैं
अपने छात्र जीवन में ऐसे ही कारनामे’
पुत्र ने कान से  इयरफ़ोन निकाला और कहा
‘यह तो उधर चल रहे टीवी से आ रही
भयानक आवाजों से बचने के लिये है
जो चला रखा है दादी और मां ने
आप तो उधर दूर बैठे हो
सास-बहु के सीरियलों की आवाज को
झेल कर बता दो  तो जाने’
पिता ने बेटी की तरफ़ देखा
वह कान में से रुई निकाल कर बोली
”पापा  आप मुझे भी इयरफ़ोन लाकर दो
मैं भी कान में लगाकर गाने सुनुंगी
मम्मी दादी तो रोज
चलाकर बैठ्ती हैं सास बहु के सीरियल
हम नही सुन सकते उसकी भयानाक आवाज्
अगर हो सके तो हमारे लिये ऐक नया टीवी
बाजार से ला दो
हम अपने मनपसंद कामेडी सीरियल देखेंगे
अब हम बच्चे भी हो गये हैं सयाने’

पिता ने कहा
‘तुम्हारी दादी और मां तो
बडे चाव से देखती है
तुम्हारी समझ में नही आते
तुम्हारी बुद्धि में कहीं कमी है
इससे तो लगते हैं यही मायने’

बेटे ने  कहा
‘हम आप के ही बच्चे है
ऐक घंटा क्या दस मिनट ही
यह सीरियल झेल कर बता दो
हम छोड देंगे अपनी मांगें
आवाजे हैं उसकी भयानक है
दृश्य हैं डरावने’

बेटी बोली
‘पापा सब ओरतें पहनतीं है
महंगे सूट और साडियां
सभी आदमी शानदार  कपडे
पहनकर आते है
पर सब चिल्लाते हैं और चीखते  हैं
भयानक ढंग से आंखे दिखाते है
हम लगते हैं घबडाने
हम कुछ नहीं जानते आप तो
किसी भी तरह हमारी मांगें माने’

पिता ने  मांगें मांग लेने की बजाय्
पुत्र की चुनौती स्वीकारी
और पहुंच गये कमरे में
सास्-बहु का सीरियल  देखने
अपनी शक्ति और शौर्य दिखाने
दो मिनट में ही उनका लगा दिल घबडाने’

लौट्कर वापस आये
और दोनों बच्चों को गले लगा लिया और बोले
बच्चों तुमने सच कहा है
सब्र से सब सहा है
इन सास-बहु के सीरियल को देखने से
तो अच्छा है हम तुम्हारी मांगें माने
सारा सेट चमकदार है
सब पहने है शानदार और महंगे कपडे
फ़िर भी भूतों जैसे करते हैं लफ़डे
इतनी भयानक आवाजे और दृश्य्
कौन कहता है यह सामाजिक हैं
हम तो इनहें हारर शो माने
तुमने साबित किया है कि
तुम लायक बाप के हो बेटी-बेटे सयाने
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