ऐसे में चेतना लायें तो किसमें-हिंदी शायरी
न खुशी पहचाने न गम
बस कर लेते लोग आंखें नम
दिल की गहराई में खाली है जगह
अंदर की बजाय बाहर ताकते रहना ही है वजह
रोने और हंसने के लिये ढूंढते बहाने
दिखना चाहते सभी सयाने
पढ़े लिखे लोग बहुत हो गये हैं
पर उनके ज्ञान के चक्षु सो गये हैं
ऐसे में चेतना लायें तो किसमें
नाभि तक बात पहुंचे तो जिसमें
यूं गूंज रहा है चारों तरफ छोर
जैसे सब बने हैं दुनियां के उद्धार के लिये
बातें बड़ी-बड़ी करते हैं जंग की
पर नहीं है किसी में लड़ने का दम
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अगस्त 2, 2008 at 4:33 अपराह्न, under
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