रहिमन लाख भली करो, अगुनी अगुन न जाय
राग सुनत पय पियत हू, सांप सहज धरि खाय
कविवर रहीम कहते हैं की असंख्य भलाई करे, परन्तु गुणहीन व्यक्ति का अवगुण नष्ट नहीं होता जैसे संगीत सुनते और दूध पीते हुए भी सर्प सहज भाव से व्यक्ति को काट लेता है.
रहिमन यहाँ न जाईये, जहाँ कपट को हेत
हम तन ढारत ढेकुली सींचत अपनों खेत
कविवर रहीम का कथन है वहाँ कदापि न जाईये, जहाँ प्रेम में कपट, छल छिपा हो. हमारे शरीर को तो वह कपटी सिंचाई के लिए कूएँ से पानी निकालने वाल यंत्र बना डालेगा और उससे अपना खेत सींच लेगा.