चमत्कार का व्यापार होता है यहाँ


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(यह व्यंग्य रचना काल्पनिक तथा किसी व्यक्ति या घटना से इसका कोई संबंध नहीं है )
देखो वही अपनी जिन्दगी में चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठा है, ऐसे बहुत कम लोग दिखाई देंगे जो अपनी जिन्दगी में किसी चमत्कार की आशा में चुप बैठता हो।
बेटा या बेटी मैट्रिक क्या पास करते हैं माता-पिता उसके इंजीनियर, डोक्टर ,कलेक्टर और एस।पी।होने की आशा संजोये रखने लगते हैं। सब लोगों की बात मैं नहीं कह सकता पर अधिकतर लोग उसके विवाह के सपने देखते हैं । बेटा है तो सोचते हैं इतना दहेज़ मिल जाएगा कि रिश्तेदार,मित्र,आस-पडोस और समाज भी क्या कहेगा ? यार उनका लड़का भी क्या हीरा है? अगर बेटी है तो लोग सोचते हैं कि उसकी कहें नौकरी लग जाये तो हो सकता है कि बिना दान-दहेज़ के उसकी शादी हो जाये तो लोग कहें देखो अपनी लडकी को इतना लायक बनाया कि उसकी बिना दहेज़ की शादी हो गयी।

केवल यही नहीं लोगों के मन में अधिक और अधिक धन कमाने की प्रवृति स्वाभाविक रुप से होती है जो सौ रूपये रोज कमा रहा है वह हजार के , जो हजार कमा रहा है वह लाख और जो लाख रोज कमा रहा है —–अब यह फेह्स्त बहुत लंबी हो जायेगी। मेरी बात पर यकीन नहीं हो तो बाबाओं और फकीरों के यहां लगने वाली भीड़ को देखिए —-सायकिल वाले से लेकर कार वाले तक वहां तक पहुंचते हैं। गरीब का तो समझ में आता है पर अमीर लोग भी वहाँ पहुंच जाते हैं -कहा जाता है कि पैसे से सारे काम हो जाते हैं, फिर भी अमीरों का वहां देखकर गरीबों को समझ में नहीं आता कि जब पैसे वाले भी सुखी नहीं है तो कौन खुश रह सकता है? फिर भी लाईन में लगा रहता है जबकि अपने सामने देख रहा है कि पैसे वाले को उस जगह बिना लाईन के वहां प्रवेश मिल रहा है -उल्टे वह सोचता है कि वह सिद्ध बाबा कोई चमत्कार कर दे तो मैं भी ऐसे ही दर्शन करूंगा। मतलब चमत्कार!बस चमत्का किसी भी तरह से होना चाहिए.

एक तरफ लोग हैं कि चमत्कार के लिए मरे जा रहे हैं, पर कोई स्वयं चमत्कार नहीं करना चाहता है । अरे, भाई तुम जब तक स्वयं चमत्कार नहीं करोगे तब तक कोई और तुम्हारे लिए चमत्कार क्यों करेगा?

तुम कभी सोचते हो कि अपनी थाली से रोटी निकालकर किसी बेजुबान पशु को दें-जब तुम उसे रोटी दोगे तो वह उसके लिए चमत्कार जैसा है। क्या कभी तुम किसी गरीब मजदूर के घर जाकर उसके बच्चे को नए वस्त्र देते हो? उसके लिए यह चमत्कार जैसा नहीं होगा?
फिर भी नही समझते तो मैं तुमसे सवाल करता हूँ कि क्या तुमने कभी ऐसे चमत्कार देखे हैं जिस पर हम जैसा कोई फ्लाप लेखक कहानी लिखकर सुपर हिट हो गया हो। अगर आपने कुछ ऐसे चमत्कार देखे हैं तो मेरे इस ब्लोग में कमेन्ट में रख दें , मुझे बड़ी ख़ुशी होगी । क्योंकि मुझे लगता है अब इस देश में चमत्कार होते नहीं दिखते जो कर सकते हैं वह स्वयं ही इनके चक्कर में घूम रहे हैं, अगर आपने इस तरह का कोई चमत्कार कह तो फिर मुझे आपके चमत्कार की उम्मीद करने पर कोई आपत्ति नहीं है।

।१।क्या आपने सुना है कि कोई बूढा हो चूका अभिनेता अब निर्माता बनकर अपने बेटे की बजाय किसी बाहर के लड़के को अपनी फिल्म का हीरो के रुप में ले रहा हो या कोई निर्माता किसी पुराने अभिनेता के बेटे की जगह किसी गाँव से लड़का लाकर उसे हीरो बना रहा है। ऐसा भी नहीं होता कि कोई निर्माता अपनी फिल्म के लिए बस कंडक्टर को हीरो बना रहा हो , यह हो भी कैसे सकता है आजकल कोई निर्माता भला बस में सफ़र करता है ? मैं देख रहा हूँ कि बिचारे लड़के गली-मुहल्लों में खाली -पीली एक्टिंग करते फिर रहे हैं कि शायद कोई निर्माता उन्हें देखकर अपनी फिल्म के लिए अनुबंधित कर ले। उन पर तरस आता है

।२।क्या आपने सुना है कि किसी राजनीतिक पार्टी के नेता ने अपने बेटे-बेटी, पत्नी, बहु और दामाद के अलावा परिवार के बाहर के आदमी को पार्टी के अध्यक्ष पद या मुख्यमंत्री पद के लिए नियुक्त करनातो दूर ऐसा करने का सोचा भी है?
३।क्या आपने सूना है कि किसी बडे संत या धर्मं स्थान के प्रमुख ने अपने बेटे के अलावा अपने किसी अन्य शिष्य को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया हो
।४।क्या आपने सुना है कि भारतीय क्रिकेट चयन समिति का कोई मेंबर किसी गली मुहल्ले में जाकर किसी खिलाड़ी का चयन करके लाया हो और उसे टेस्ट मैच खिलाया हो।
४। क्या आपने सूना है कि किसी निज-पत्रक लेखक को कोई पुरस्कार मिला है। हालांकि मैं यह उम्मीद तो कर्ता हूँ कि कभी न कभी तो किसी को मिलेगा पर मुझे… कभी नही।
नहीं सुना तो भूल जाओ और सुना है तो यह चमत्कार सबके साथ नही होता-वैसे कोई कहे कि किसी के साथ हुआ है तो झूठ बोल रहा है क्योंकि वह चमत्कार प्रायोजित ही हो ससकता है ।सो मेरे दोस्तो भूल जाओ अब यहाँ चमत्कार नही होते ।खेलो, ख़ूब खेलो, नाचो, ख़ूब नाचू, भजो और ख़ूब भजो पर चमत्कार की उम्मीद नहीं करना। थी जिन्दगी में खुश रह पाओगे । वरना पूरी जिन्दगी चमत्कारी बाबाओं के पीछे लगते कट जायेगी। चमत्कार का भी व्यापार होने लगा है सो बचकर रहना।

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